"नोटबंदी से जनता परेशान या कालाधन वाले " ?

   "नोटबंदी से जनता परेशान या कालाधन वाले " ?

 सरकार ने पाँच सौ और एक हजार के नोट बंद कर कालाधन वालो को जोरदार झटका दिया , और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था  को  भी मजबूत किया।

          तारीख -8/11/2016  , समय 8:00 pm प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन का कार्यक्रम , सबको लगा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी लगातार होते सीजफायर और शहीद होते सैनिक के लिए सरकार पाकिस्तान को और मजबूत जवाब देगी , लेकिन समय ,तारीख सब वही लेकिन , पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक को देश के प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 के नोटों पर कर दिया।  इस अचानक हुई स्ट्राइक के कारण लोगो को कुछ समझ आता ,तब तक वह चार घंटे बीत चुके थे जो उन्हें मोहलत के लिए मिले थे।  चार घंटे के बाद जो देशभर में परेशानी हुई उसे हम सब ने टी.वी , न्यूज़पेपर , सोशल मीडिया पर देखा।                                                                    कालेधन पर हमेशा सरकार को घेरने वाले विपक्ष को सरकार ने कुछ हद तक जवाब दे दिया , लेकिन देश के बाहर वाले कालेधन पर सरकार बैकफुट पर है।
                    इस तरह अचानक बंद हुए 500 ,1000 के नोटों ने लोगो को मुश्किल में डाल दिया है , प्रधानमंत्री ने रात के 8 बजे घोषणा किया और 9 बजे वित्त सचिव , RBI की संयुक्त हुई प्रेसवार्ता ने लोगो को सरकार की करवाई को अच्छी तरीके से मीडिया के माध्यम से लोगो को बताया।  
नोटबंदी के इस कारवाई को लेकर सरकार ने बहुत अच्छी गोपनीयता बरती जिस के लिए सरकार की तारीफ होनी चाहिए , नोटबंदी को लेकर केवल प्रधानमंत्री ,वित्त मंत्री, RBI के उच्च अधिकारी , वित्त सचिव , और कुछ कैबिनेट मिनिस्टर के अलावा किसी को कुछ नही पता।  इस तरह की करवाई से सरकार की ईमानदारी वाली तस्वीर तो जरूर झलकती है ,               मोराजी देसाई की जनता सरकार ने1000, 5000 के नोट बंद के बाद मोदी सरकार ने 500-1000 के नोट बंद किया। बस फर्क इतना है , की 5000 की नोट हमेशा के लिए बंद हो गयी और 500-1000 के नोट हमेशा के लिए नही।             अब प्रश्न उठता है ,की सरकार के कार्यकाल के दूसरे ही साल बाद सरकार ने जो कदम उठाया है , वह कदम कई सरकारे अपने पुरे कार्यकाल में नही उठा पाती है।  पहले तो " fare and lovely "  योजना मतलब कालेधन या आघोषित धन को घोषित कर 40% टैक्स भर कर अपना पैसा सफेद कर लो , और अब 500 -1000 के नोट बंद।                                        दरसल मुझे लगता है , इसके पीछे तीन कारण है - 1 . चुनाव के समय सबसे बड़े मुद्दों में से एक कालाधन - जिसके खिलाफ सरकार जनता को दिखाना चाहती है की वह कालेधन को लेकर अपना वादा नही भूली है।  2 . जो चुनाव के समय जनता को बड़े - बड़े सपने या घोषणा की गयी उसे पूरा करने के लिए सरकार को अधिक धन की जरुरत है।  3 . सरकार कालेधन के वजह से बढती मंहगाई , बेरोजगारी , बिगड़ती अर्थव्यवस्था , अमीर के और अमीर होने , गरीब के और गरीब होने के कारण उठाया गया कदम।              यह तीनो ही कारण कही न कही सरकार के भी सोच में रही होगी।  सरकार ने नोटबंदी से होने वाली परेशानियों के लिए जनता से सहयोग मांगा है , और जनता पूरी तरह से कालेधन के खिलाफ सरकार के साथ है।  लेकिन किया नोटबंदी को लेकर सरकार ने पूरी तैयारी कर ली थी या जल्दबाजी में यह फैसला लिया गया।                                   क्योकि अगर सरकार ने तैयारी की होती तो , जो ATM में 2000 , 500 के नए स्लॉट लगाए जा रहे है वह कुछ दिनों पहले ही हो जाते।  जो बैंको और पोस्ट ऑफिसो में इतनी भीड़ है।  वह नही होती अगर सरकार चुनाव के समय बनाये जाने वाले पोलिंग बूथ की तरह ही हर क्षेत्र में बूथ बनाती और इन बूथों से भी लोगो को [पैसे देती जिससे ,की यह लाइने इतनी लंबी नही होती।                    क्या सरकार यह नही जानती थी ,की यह समय खेती के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय है जब नई फसल लगायी जाती है और पुरानी फसल मंडियो में बेचीं जाती है।         इस समय सबसे ज्यादा शादियां पुरे देश - भर में है और शादी में अधिक पैसो की जरूरत होती है लेकिन सरकार ने 10 दिनों के बाद जब पैसो की संख्या बढ़ाई तब तक कई शादिया हो चुकी और कई ने आगे तारीख बढ़ा दिया।  वित्त मंत्री कहते है ,की शादियों में शगुन और सभी खर्चे चेक से किया जाये लेकिन चेक और ऑनलाइन पेमेंट के नियमो में बदलाव किये बिना यह संभव नही है।                        खैर , ये तो बिना तैयारी की बात हुई लेकिन सरकार पर आरोप है ,की उन्ही के एक प्रदेश पार्टी ने प्रधानमंत्री के भाषण के कुछ घंटो पहले ही करोड़ो रुपए बैंक में जमा किया, और तो और आरोप यह लग रहा है ,की उन्होंने एक प्रदेश में पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी , और उस प्रदेश के लोग सचेत हो गए थे।  इन सब आरोपो पर सरकार  कुछ कहे  कहे विपक्षको मौका मिल गया है , सरकार पर हमला बोलने का ....... । 

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