"क्या make in india - made by china को टक्कर देगी "?.

 "क्या make in india - made by china को टक्कर देगी "?. 
हमारे देश का पुराना नारा -- " हिंदी चीनी भाई -भाई " , और नये ज़माने का नारा -- "चीनी समान खरीदो मत भाई "  । 

       जी हाँ , भारत और चीन पाकिस्तान के अलग होने के बाद सबसे अच्छे मित्र थे , हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री तो चीन के बहुत बड़े मुरीद थे , कि वह चीन पर इतना विश्वास करते थे की चीन सेना के भारत सीमा में घुस कर अपने टेंट लगाने के बाद भी उन्होंने कोई कदम नही उठाया , जिसका फल स्वरूप हमें अपना हिस्सा चीन को देना पड़ा । खैर हमारे पूर्वजो ने उस समय में जो कर सकते थे , वह उन्होंने किया ,  क्योकि उस समय हमारा देश बेहद गरीब , बेरोजगार , भूखमरी से ग्रसित था और छोटी सी सैन्य ताकत से कुछ भी नही किया जा सकता था।  

                लेकिन हम भारतीयों की इच्छा-शक्ति ही थी की आज भारत ,  चीन समेत सभी विकसित देशो को कड़ी टक्कर दे रहा है।                  भारत आज हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है , और उसे सफलता भी मिल रही है। 
                                     लेकिन आज -कल हमारे नए मीडिया मतलब सोशल मीडिया पर जो मोदीजी का फोटो लगाकर एक विनम्र अपील वाली फोटो वायरल हो रही है यह फोटो अब देश का मुद्दा बन गया है।  

             आखिर फोटो में है क्या ? लोग इस फोटो को क्यों इतना शेयर कर रहे है।  दरसल इस फोटो में लोगो  से चीनी समान दीपावली पर नही खरीदने की अपील की जा रही है ताकि चीन को पाकिस्तान का साथ देने को सबक दिया जा सके।  यह बहुत अच्छी अपील है, क्योकि चीनी समान एक तो बहुत ख़राब क्वालिटी का होता है  और दूसरा देश का पैसा देश में रहे।    

   लेकिन सोचने योग्य बात यह है की गरीब लोग या वह लोग जो भारतीय समान ( जिसका मूल्य चीनी समान से ज्यादा है ) वह लोग क्या करेगे ? या तो उनके लिए सस्ते दर पर समान दिया जाये , दुसरा इस अपील को पाच - छ महीने पहले वायरल करना था ताकि दुकानदार जिन्होंने चीनी समान खरीद लिया वह न खरीदते।  

                                       क्या भारत सरकार को खराब क्वालिटी वाले चीनी समान को भारत में प्रतिबंद नही कर देना चाहिए ? जैसा की  दूसरे देश करते है , यह कुछ बुनियादी बाते है , जिन पर ध्यान देना चाहिए।  खैर देर सही लेकिन शुरुआत हो हुई और अगर शुरुआत हुई है , तो यह अपने मुकाम तक जरूर पहुचेगी।  सफर लंबा है , कठिन है, चुनोतियो से भरा है, लेकिन हम भारतवासियो का द्रढ़निश्चय तो सौ साल पहले भी पुरे विश्व ने देखा था , और इस अभियान को भी चीन सहित पूरा विश्व देखेगा । 

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