तीन तलाक़ बिल : महिला अधिकार या वोट बैंक राजनीति

दिल्ली।  आजाद भारत के सबसे बड़े महिला अधिकार बिल यानी की मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 को गुरुवार (28 दिसंबर) को मोदी सरकार के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में पेश किया। विधियक के लोकसभा में पेश होने के बाद इसे सरकार ने 246 वोटो के साथ पास करा लिया।  

मंत्री जी ने बिल पेश करते समय महिला अधिकारों, महिला सुरक्षा, जेंडर जस्टिस और ना जाने कितने ही बेहतरीन शब्दों का उपयोग कर बिल को सार्थक बनाने की कोशिश की और सर्व सहमति से बिल को पास करने के लिए सदस्यों से गुज़ारिश भी की।  रविशंकर जी ने अपना काम बेहतरीन तरीके से किया और लोकसभा में पास करा लिया।  

बिल पास जो जाने पर बीजेपी समेत देश भर में लोगो ने खुशियाँ मनाई। बीजेपी के बड़े-बड़े नेता, मंत्री प्रेस को इंटरव्यू देकर अपनी और अपनी पार्टी की तारीफ़ कर रहे है।  कोई कह रहा ही की वोट बैंक के लिए इसे अभी तक पास नहीं किया गया।  शायरा बानो से लेकर शाह बनो तक का सबका उदहारण दिया जा रहा है।  

एक तरफ बीजेपी जहां बिल पास कराने के बाद खुश हो रही है वही कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा है की वह इस मुद्दे पर सरकार के साथ रहे या विपक्ष की भूमिका निभाए।  

कहा जा रहा है की वोट बैंक की राजनीति के लिए अभी तक किसी सरकार ने तीन तलाक़ को बैन नहीं किया।  लेकिन सबसे बड़ा सवाल है की क्या बिल पास हो जाने पर यह वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा नहीं रहेगा।  क्या जिस पार्टी ने यह बिल पेश किया और इसे पास करवाया वह चुनावो में इस मुद्दे पर वोट नहीं मांगेगा।

 
सोचने वाली बात यह है की तीन तलाक़ बिल : महिला को अधिकार देगी या वोट बैंक राजनीति का शिकार बनेगी।  

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